Numaish – Dr. Kumar Vishwas Poem
Dr. Kumar Vishwas Numaish Poem Lyrics in Hindi
कल नुमाइश में फिर गीत मेरे बिके
और मैं क़ीमतें ले के घर आ गया
कल सलीबों पे फिर प्रीत मेरी चढ़ी
मेरी आँखों पे स्वर्णिम धुआँ छा गया
कल तुम्हारी सु-सुधि में भरी गन्ध फिर
कल तुम्हारे लिए कुछ रचे छन्द फिर
मेरी रोती सिसकती सी आवाज़ में
लोग पाते रहे मौन आनंद फिर
कल तुम्हारे लिए आँख फिर नम हुई
कल अनजाने ही महफ़िल में, मैं छा गया
कल सजा रात आँसू का बाज़ार फिर
कल ग़ज़ल-गीत बनकर ढला प्यार फिर
कल सितारों-सी ऊँचाई पाकर भी मैं
ढूँढता ही रहा एक आधार फिर
कल मैं दुनिया को पाकर भी रोता रहा
आज खो कर स्वयं को तुम्हें पा गया
– डॉ. कुमार विश्वास
- Hindi Shayari
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